रेलवे प्लेटफॉर्म टिकट की शुरुआत कब हुई और क्यों?

Railway Platform Ticket

भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है और इसकी सेवाओं में हर छोटा-बड़ा हिस्सा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इनमें से एक है प्लेटफॉर्म टिकट — एक छोटा सा टिकट, जिसकी कीमत आमतौर पर 10 से 50 रुपये के बीच होती है, लेकिन इसका उद्देश्य बड़ा है।

क्या आपने कभी सोचा है कि प्लेटफॉर्म टिकट की जरूरत ही क्यों पड़ी? इसकी शुरुआत कब हुई? और आज यह टिकट किन नियमों और जरूरतों के तहत दिया जाता है? आइए, इस लेख में जानते हैं प्लेटफॉर्म टिकट का पूरा इतिहास और इसका वर्तमान महत्व।

प्लेटफॉर्म टिकट क्या होता है?

प्लेटफॉर्म टिकट एक विशेष प्रकार का रेलवे टिकट होता है जो यात्रियों के साथ आए सहयात्री (परिजन, दोस्त) आदि को ट्रेन में चढ़ने वाले व्यक्ति को प्लेटफॉर्म तक छोड़ने या रिसीव करने की सुविधा देता है। यह टिकट यात्री को ट्रेन में चढ़ने का अधिकार नहीं देता, बल्कि सिर्फ प्लेटफॉर्म क्षेत्र में कुछ समय बिताने की अनुमति देता है।

प्लेटफॉर्म टिकट की शुरुआत कब हुई?

भारत में प्लेटफॉर्म टिकट की शुरुआत ब्रिटिश शासनकाल के दौरान हुई थी, जब भारतीय रेलवे अपने प्रारंभिक विस्तार पर था। इसका उद्देश्य था:

  1. प्लेटफॉर्म क्षेत्र में अनावश्यक भीड़ को रोकना
  2. यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना
  3. रेलवे स्टेशन पर अनुशासन बनाए रखना

पहली बार प्लेटफॉर्म टिकट की अवधारणा 19वीं सदी के अंतिम वर्षों में अपनाई गई थी, खासकर तब जब स्टेशन पर आने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही थी।

ब्रिटिश रेल मॉडल से प्रेरणा

भारत में रेलवे व्यवस्था ब्रिटिश मॉडल पर आधारित रही है। इंग्लैंड में भी प्लेटफॉर्म टिकट की व्यवस्था 1800 के दशक में शुरू की गई थी ताकि केवल वही लोग प्लेटफॉर्म तक जाएं जिनके पास वैध कारण हो। उसी प्रणाली को भारत में भी अपनाया गया, खासकर मुंबई, कोलकाता और मद्रास जैसे व्यस्त स्टेशनों पर।

प्लेटफॉर्म टिकट क्यों जरूरी है?

रेलवे स्टेशनों पर भीड़ को नियंत्रित करना हमेशा एक बड़ी चुनौती रहा है। प्लेटफॉर्म टिकट की मदद से रेलवे यह सुनिश्चित करता है कि:

  • केवल वैध और जरूरतमंद लोग ही प्लेटफॉर्म तक पहुंचें
  • सुरक्षा जांच आसानी से हो
  • अनावश्यक घुसपैठ या असामाजिक गतिविधियों पर रोक लगे
  • स्टेशन की साफ-सफाई और यातायात व्यवस्था बनी रहे

प्लेटफॉर्म टिकट की कीमत में बदलाव

प्लेटफॉर्म टिकट की कीमत समय-समय पर बदली जाती रही है। शुरुआत में इसकी कीमत सिर्फ 10 पैसे से 25 पैसे के बीच हुआ करती थी। फिर यह धीरे-धीरे बढ़कर:

  • 1990 के दशक में ₹3
  • 2000 के बाद ₹5
  • 2015 के बाद ₹10
  • और कोविड-19 महामारी के दौरान कई जगह ₹30 या ₹50 तक बढ़ा दी गई थी

महामारी के दौरान यह कदम भीड़ को सीमित रखने के लिए लिया गया था।

क्या प्लेटफॉर्म टिकट की वैधता समय तक सीमित होती है?

हाँ। आमतौर पर प्लेटफॉर्म टिकट 2 से 3 घंटे के लिए वैध होता है। हालांकि, यह समय स्टेशन की भीड़ और नियमों के अनुसार बदल भी सकता है।

इसका उल्लंघन करने पर रेलवे के पास जुर्माना लगाने या हटा देने का अधिकार होता है।

प्लेटफॉर्म टिकट कहां से खरीदा जा सकता है?

  1. रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर से
  2. रेलवे की ऑटोमेटिक टिकट वेंडिंग मशीन (ATVM) से
  3. IRCTC के UTS मोबाइल ऐप के माध्यम से (कुछ स्थानों पर)

क्या प्लेटफॉर्म टिकट पर कोई छूट मिलती है?

नहीं, आमतौर पर प्लेटफॉर्म टिकट पर कोई छूट लागू नहीं होती। यह एक सामान्य नागरिक सुविधा टिकट है, जो सभी के लिए एक समान होता है।

प्लेटफॉर्म टिकट से रेलवे को कितनी कमाई होती है?

आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि यह छोटा सा टिकट रेलवे को सालाना करोड़ों रुपये की आमदनी देता है। उदाहरण के लिए:

  • 2019-20 में भारतीय रेलवे ने प्लेटफॉर्म टिकट्स से लगभग ₹125 करोड़ की कमाई की थी
  • महामारी के समय कमाई घटी, लेकिन अब दोबारा बढ़ रही है

क्या प्लेटफॉर्म टिकट कभी पूरी तरह बंद हुआ है?

हाँ, कोविड-19 महामारी के दौरान जब लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम लागू हुए, तब प्लेटफॉर्म टिकट अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए थे। इसका उद्देश्य भीड़ को रोकना और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था।

हालांकि, अब हालात सामान्य होते जा रहे हैं और प्लेटफॉर्म टिकट फिर से उपलब्ध हो चुके हैं — कुछ जगहों पर पुराने रेट पर, तो कहीं पर थोड़े बढ़े हुए दरों पर।

भविष्य में प्लेटफॉर्म टिकट का क्या स्वरूप होगा?

जैसे-जैसे रेलवे डिजिटल हो रहा है, वैसे ही प्लेटफॉर्म टिकट भी:

  • QR कोड आधारित बन रहा है
  • मोबाइल टिकटिंग ऐप्स के माध्यम से उपलब्ध है
  • डिजिटल स्कैनिंग के ज़रिए वेरिफिकेशन आसान हो गया है

भविष्य में हो सकता है कि AI आधारित एंट्री गेट्स प्लेटफॉर्म टिकट को स्कैन करके ऑटोमेटिक एंट्री दें — जैसे मेट्रो स्टेशनों पर होता है।

निष्कर्ष

रेलवे प्लेटफॉर्म टिकट एक साधारण सी चीज़ लग सकती है, लेकिन इसके पीछे की सोच बेहद गहरी और ज़रूरी है। भीड़ नियंत्रण से लेकर सुरक्षा, अनुशासन और सुविधा तक — यह टिकट रेलवे संचालन का एक अहम हिस्सा है।

तो अगली बार जब आप किसी अपने को स्टेशन छोड़ने जाएं, तो याद रखें कि यह छोटा-सा टिकट आपको रेलवे प्लेटफॉर्म तक पहुंचने की अनुमति देता है — और साथ ही भारतीय रेलवे की एक बेहद व्यवस्थित परंपरा का हिस्सा भी बनाता है।

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