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रेलवे में ‘डेड एंड’ क्या होता है? स्टेशन के आखिरी छोर पर लगे इस बफर का रहस्य

Dead End

जब भी आप किसी बड़े रेलवे स्टेशन के छोर पर खड़े होते हैं, तो आपने देखा होगा कि कुछ ट्रैक प्लेटफॉर्म पर आकर अचानक खत्म हो जाते हैं। इन ट्रैकों के अंत में एक मजबूत लोहे की रचना या दीवारनुमा संरचना लगी होती है, जिसे अक्सर ‘डेड एंड’ कहा जाता है।

लेकिन यह ‘डेड एंड’ आखिर होता क्या है? क्या यह सिर्फ एक ट्रैक का अंत है या इसके पीछे कोई तकनीकी और सुरक्षा से जुड़ी खास वजह है?

इस लेख में हम जानेंगे कि रेलवे में डेड एंड क्या होता है, यह क्यों लगाया जाता है, यह कैसे काम करता है, और इससे ट्रेन यात्रियों की सुरक्षा पर क्या असर पड़ता है।

1. डेड एंड क्या होता है?

रेलवे में ‘डेड एंड’ एक ऐसा स्थान होता है जहां रेल ट्रैक समाप्त होता है और उसके आगे कोई रास्ता नहीं होता। यह अक्सर:

लगाया जाता है, ताकि ट्रेन उससे आगे न बढ़ सके और किसी दीवार या संरचना से न टकरा जाए

डेड एंड का मुख्य उद्देश्य होता है सुरक्षा — यानी ट्रेन अगर गलती से आगे बढ़ भी जाए, तो वह पूरी रफ्तार से कहीं दुर्घटनाग्रस्त न हो।

2. डेड एंड में क्या-क्या शामिल होता है?

डेड एंड के लिए आमतौर पर एक बफर स्टॉप या बफर ब्लॉक का उपयोग किया जाता है। इसमें शामिल होते हैं:

a) Buffer Stop (बफर स्टॉप):

b) Sand Hump (रेत का ढेर):

c) Stop Board या Signal:

d) Foundation Wall:

3. डेड एंड क्यों जरूरी है?

a) ट्रेनों को आखिरी सीमा पर रोकना:
टर्मिनल स्टेशनों जैसे हावड़ा, CST मुंबई, अमृतसर, पुरानी दिल्ली आदि में जहां ट्रेनें प्लेटफॉर्म पर खत्म होती हैं, वहां यह बेहद जरूरी होता है।

b) सुरक्षा कारणों से:
अगर ड्राइवर से ब्रेक लगाने में देर हो जाए, तो डेड एंड ट्रेन को स्टेशन की इमारत या लोगों से टकराने से बचाता है।

c) ऑपरेशनल कंट्रोल:
डेड एंड यह भी सुनिश्चित करता है कि ट्रेन आवश्यक सीमा से आगे न जा सके, जिससे संचालन सुचारू रहता है।

d) यार्ड्स और मेंटेनेंस साइडिंग:
जहां ट्रेनें खड़ी की जाती हैं या मरम्मत के लिए जाती हैं, वहां डेड एंड से उनका नियंत्रण आसान हो जाता है।

4. डेड एंड कितने प्रकार के होते हैं?

1. फिक्स्ड बफर स्टॉप:

2. हाइड्रोलिक बफर स्टॉप:

3. रबर पैड या स्प्रिंग बफर:

4. सैंड ट्रैप या सैंड हंप:

5. क्या कभी डेड एंड भी दुर्घटना रोक नहीं पाता?

हाँ, अगर ट्रेन बहुत तेज़ गति से आ रही हो या ब्रेक पूरी तरह फेल हो जाए, तो डेड एंड ट्रेन को पूरी तरह नहीं रोक पाता। कुछ ऐतिहासिक घटनाएं इस बात का उदाहरण हैं:

इसलिए आधुनिक डेड एंड डिज़ाइन अब ज्यादा शॉक-एब्जॉर्बिंग और तकनीकी रूप से उन्नत बनाए जा रहे हैं।

6. क्या डेड एंड के बाद कुछ और होता है?

नहीं। डेड एंड का मतलब ही है “अंतिम सीमा”। इसके बाद:

डेड एंड के पार जाना न केवल असुरक्षित होता है, बल्कि रेलवे नियमों का उल्लंघन भी है।

7. क्या डेड एंड को डिजाइन करते समय कुछ खास ध्यान रखा जाता है?

हाँ, इसके डिजाइन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाता है:

इन सभी गणनाओं के आधार पर डेड एंड की ऊंचाई, चौड़ाई, सामग्री और झटका सहने की क्षमता तय की जाती है।

निष्कर्ष

रेलवे का ‘डेड एंड’ एक साधारण सा दिखने वाला, लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण सुरक्षा उपकरण है। यह ना केवल ट्रेनों को नियंत्रण में रखने का काम करता है, बल्कि कई बार यात्रियों की जान बचाने में भी निर्णायक साबित होता है।

अब जब आप अगली बार किसी टर्मिनल स्टेशन पर जाएं और ट्रैक के अंत में लगे उस मजबूत बफर को देखें, तो समझिए — यह केवल ट्रैक का अंत नहीं, बल्कि सुरक्षा की अंतिम दीवार है।

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