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रेलवे में ‘0 नंबर प्लेटफॉर्म’ क्या होता है? जानिए ये अनोखी जानकारी

zero platform

अगर आप भारतीय रेलवे के नियमित यात्री हैं, तो आपने स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म नंबर 1, 2, 3… आदि तो जरूर देखे होंगे। लेकिन क्या आपने कभी ‘0 नंबर प्लेटफॉर्म’ देखा है? और अगर देखा भी है, तो यह सवाल जरूर मन में आया होगा कि प्लेटफॉर्म नंबर ज़ीरो होता ही क्यों है?

यह सुनने में जितना अजीब लगता है, उतना ही रोचक और अनोखा यह कॉन्सेप्ट है। आज हम जानेंगे कि 0 नंबर प्लेटफॉर्म क्या होता है, यह कैसे काम करता है, और देश के किन-किन रेलवे स्टेशनों पर यह मौजूद है।

0 नंबर प्लेटफॉर्म: एक संक्षिप्त परिभाषा

0 नंबर प्लेटफॉर्म रेलवे स्टेशन का वह हिस्सा होता है जो आमतौर पर मुख्य प्लेटफॉर्म्स (1, 2, 3…) के बगल या उससे पहले स्थित होता है। यह प्लेटफॉर्म आकार में थोड़ा छोटा होता है और इसका उपयोग खास परिस्थितियों में किया जाता है।

यानी, यह प्लेटफॉर्म नंबरों की सामान्य गिनती से बाहर होता है, और इसका उपयोग विशेष ट्रेनें, छोटे रूट्स, या टर्मिनल सेवाओं के लिए किया जाता है।

0 नंबर प्लेटफॉर्म की शुरुआत कैसे हुई?

रेलवे स्टेशन के विकास के दौरान जब ट्रैफिक बढ़ा, तो मौजूदा प्लेटफॉर्म्स की संख्या अपर्याप्त पड़ने लगी। लेकिन जगह की कमी के कारण नए प्लेटफॉर्म्स को मुख्य गिनती में शामिल करना मुश्किल हो गया।

इसलिए कुछ स्टेशनों ने पहले से मौजूद प्लेटफॉर्म से पहले जो ट्रैक था, उसे थोड़ा विकसित करके ‘0 नंबर प्लेटफॉर्म’ के रूप में उपयोग में लेना शुरू कर दिया। यह एक इनोवेटिव सॉल्यूशन था जिससे यात्रियों और ट्रेनों की संख्या बढ़ने के बावजूद स्टेशन के ढांचे में बड़े बदलाव की ज़रूरत नहीं पड़ी।

0 नंबर प्लेटफॉर्म का उपयोग कब और कैसे होता है?

0 नंबर प्लेटफॉर्म का उपयोग उन ट्रेनों के लिए किया जाता है:

इसके अलावा, कभी-कभी VIP मूवमेंट या मैनटेनेंस शेड्यूल के दौरान भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।

भारत में 0 नंबर प्लेटफॉर्म कहां-कहां हैं?

यहां कुछ प्रमुख रेलवे स्टेशन दिए गए हैं जहां 0 नंबर प्लेटफॉर्म मौजूद है:

  1. इलाहाबाद (प्रयागराज) जंक्शन, उत्तर प्रदेश
    यहाँ 0 नंबर प्लेटफॉर्म स्टेशन के प्रवेश द्वार के बिल्कुल पास है और लोकल ट्रेनों के लिए उपयोग किया जाता है।
  2. पटना जंक्शन, बिहार
    पटना का 0 नंबर प्लेटफॉर्म मुख्य प्लेटफॉर्म से अलग स्थित है और अक्सर पैसेंजर ट्रेनों के लिए उपयोग किया जाता है।
  3. मुजफ्फरपुर जंक्शन, बिहार
    यहाँ 0 नंबर प्लेटफॉर्म से लोकल ट्रेनें और कुछ स्पेशल ट्रेनें चलाई जाती हैं।
  4. गोरखपुर जंक्शन, उत्तर प्रदेश
    गोरखपुर जैसे बड़े स्टेशन पर 0 नंबर प्लेटफॉर्म होने का कारण ट्रैफिक मैनेजमेंट है।
  5. नागपुर जंक्शन, महाराष्ट्र
    नागपुर में भी एक छोटा लेकिन सक्रिय 0 नंबर प्लेटफॉर्म मौजूद है।

क्या 0 नंबर प्लेटफॉर्म रेलवे नियमों का हिस्सा है?

जी हाँ, रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर और ऑपरेशन से जुड़े दिशा-निर्देशों में 0 नंबर प्लेटफॉर्म को मान्यता प्राप्त है। रेलवे बोर्ड और संबंधित Zonal Railway इस तरह के प्लेटफॉर्म को मंजूरी देते हैं, बशर्ते वह सुरक्षित, आवश्यकता आधारित, और यात्री सुविधाओं से युक्त हो।

क्या इससे यात्रियों को कोई परेशानी होती है?

कभी-कभी, हाँ। चूंकि ज़्यादातर लोग प्लेटफॉर्म नंबर 1 से शुरू होने की उम्मीद करते हैं, इसलिए 0 नंबर प्लेटफॉर्म को पहचानने में दिक्कत हो सकती है, खासकर नए यात्रियों को। लेकिन अब रेलवे डिजिटल साइनबोर्ड्स, अनाउंसमेंट और मोबाइल ऐप्स की मदद से यह जानकारी स्पष्ट रूप से देता है।

क्या अन्य देशों में भी 0 नंबर प्लेटफॉर्म होते हैं?

कुछ देशों में होते हैं, लेकिन यह कॉन्सेप्ट भारत में ज़्यादा प्रचलित है। जैसे जापान और यूरोप में भी कुछ विशेष रेलवे टर्मिनलों पर गैर-संख्या वाले प्लेटफॉर्म्स होते हैं, लेकिन वहाँ इसे “Platform A”, “Platform S”, आदि नामों से पहचाना जाता है।

टेक्नोलॉजी और भविष्य में 0 नंबर प्लेटफॉर्म की भूमिका

जैसे-जैसे रेलवे डिजिटाइजेशन और स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर बढ़ रहा है, वैसे ही प्लेटफॉर्म नंबरिंग भी ज्यादा लॉजिकल और यूज़र-फ्रेंडली बन रही है। भविष्य में हो सकता है कि 0 नंबर प्लेटफॉर्म को भी स्मार्ट डिस्प्ले और एआई बेस्ड गाइडेंस से ज्यादा सुलभ बनाया जाए।

निष्कर्ष

0 नंबर प्लेटफॉर्म रेलवे की एक अनोखी और व्यावहारिक सोच का उदाहरण है। यह ना केवल ट्रैफिक मैनेजमेंट में मदद करता है, बल्कि स्टेशन की क्षमता को बिना भारी निर्माण के बढ़ाने का स्मार्ट तरीका भी है।

अब अगली बार जब आप किसी रेलवे स्टेशन पर जाएं और ‘0 नंबर प्लेटफॉर्म’ देखें, तो चौंकिए मत — आप एक अनोखी रेलवे टेक्नोलॉजी का हिस्सा देख रहे हैं।

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