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क्या रेलवे का डीजल इंजन पूरी तरह डीजल से चलता है? जानिए असली तकनीक

Diesel Engine

जब भी कोई भारी ट्रेन आपके सामने से गुजरती है और आप उसके आगे लगे इंजन को ध्यान से देखते हैं, तो आपके मन में अक्सर यह सवाल आता है — क्या यह इंजन पूरी तरह डीजल से चलता है?

बाहर से देखने पर यह सिर्फ एक भारी, धुएं छोड़ता इंजन लगता है जो डीजल जलाकर ट्रेन को खींचता है। लेकिन असलियत इससे थोड़ी अलग और तकनीकी रूप से बहुत ज्यादा दिलचस्प है।

इस लेख में हम जानेंगे कि भारतीय रेलवे का डीजल इंजन वास्तव में कैसे काम करता है, और क्या वह पूरी तरह डीजल से ही चलता है — या इसमें कुछ और तकनीक भी छिपी है।

1. डीजल इंजन: नाम से भ्रम

‘डीजल इंजन’ नाम सुनते ही ज्यादातर लोग सोचते हैं कि यह इंजन सीधे डीजल जलाकर पहियों को घुमाता है — जैसे ट्रक या कार में होता है।
लेकिन रेलवे का डीजल इंजन ‘डायरेक्ट मैकेनिकल ड्राइव’ नहीं होता

दरअसल, रेलवे में उपयोग होने वाले डीजल इंजन डीजल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव होते हैं।

2. डीजल-इलेक्ट्रिक इंजन क्या होता है?

इसका मतलब यह है कि इंजन डीजल तो जलाता है, लेकिन उससे पहिए सीधे नहीं चलते।

स्टेप-बाय-स्टेप प्रोसेस यह होती है:

  1. डीजल इंजन डीजल को जलाकर मैकेनिकल ऊर्जा पैदा करता है
  2. यह ऊर्जा एक जनरेटर (Alternator) को चलाती है
  3. जनरेटर बिजली (Electricity) पैदा करता है
  4. यह बिजली ट्रैक्शन मोटर को दी जाती है
  5. ट्रैक्शन मोटर ट्रेन के पहियों को घुमाते हैं

इसलिए, तकनीकी रूप से यह इंजन इलेक्ट्रिक मोटर्स से चलता है, लेकिन उसकी बिजली खुद का जनरेटर पैदा करता है — जो डीजल से चलता है।

3. तो क्या डीजल सिर्फ बिजली बनाने के लिए होता है?

जी हां! रेलवे डीजल इंजन में डीजल केवल बिजली पैदा करने के लिए जलाया जाता है। ट्रेन के पहिए चलाने का असली काम Electric Traction Motors करती हैं।

यह तकनीक अत्यंत प्रभावी मानी जाती है क्योंकि:

4. क्या कोई इंजन डीजल से सीधे चलता है?

कुछ पुराने रेलवे इंजनों में डीजल-मैकेनिकल या डीजल-हाइड्रोलिक सिस्टम होता था। इनमें:

लेकिन भारी गाड़ियों और तेज़ स्पीड के लिए आजकल सिर्फ डीजल-इलेक्ट्रिक इंजन ही प्रचलन में हैं।

5. डीजल-इलेक्ट्रिक इंजन के मुख्य भाग कौन-कौन से होते हैं?

a) डीजल इंजन (Prime Mover):

b) अल्टरनेटर (Generator):

c) कंट्रोल सिस्टम:

d) ट्रैक्शन मोटर्स:

e) ब्रेकिंग सिस्टम:

6. क्या यह तकनीक पर्यावरण के लिए बेहतर है?

डीजल इंजन में डीजल जलता है, जिससे:

हालांकि डीजल-इलेक्ट्रिक तकनीक डीजल-मैकेनिकल से बेहतर है, फिर भी यह पूरी तरह हरित तकनीक (Green Technology) नहीं मानी जाती।

इसी कारण रेलवे अब बिजली से चलने वाली गाड़ियों (Electric Traction) और हाइड्रोजन फ्यूल सेल जैसे विकल्पों की ओर बढ़ रहा है।

7. क्या इंजन में बैटरी का उपयोग होता है?

भविष्य में रेलवे हाइब्रिड इंजन लाने की योजना बना रहा है, जिसमें डीजल और बैटरी दोनों का उपयोग होगा।

8. डीजल-इलेक्ट्रिक इंजन के फायदे क्या हैं?

9. भारतीय रेलवे में कौन से डीजल इंजन सबसे प्रचलित हैं?

10. क्या डीजल इंजन का भविष्य खतरे में है?

भारतीय रेलवे ने लक्ष्य रखा है कि 2030 तक वह नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन वाली संस्था बन जाएगी। इसके लिए:

इसलिए डीजल इंजन धीरे-धीरे बैकअप या सीमित उपयोग तक सीमित रह जाएंगे।

निष्कर्ष

रेलवे का डीजल इंजन बाहर से जितना सीधा दिखता है, अंदर से उतना ही जटिल और तकनीकी रूप से विकसित होता है। यह पूरी तरह डीजल पर निर्भर तो है, लेकिन उसका काम डीजल जलाकर बिजली बनाना और मोटरों से पहियों को घुमाना होता है।

अब अगली बार जब आप ट्रेन के डीजल इंजन को देखें, तो जानिए — वह केवल डीजल नहीं जला रहा, बल्कि अपनी ही बिजली बनाकर खुद को चला रहा है, जो तकनीक की एक शानदार मिसाल है।

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