भारत में हजारों रेलवे स्टेशन हैं — कुछ नाम तो रोज़ सुनते हैं, जैसे हावड़ा, बांद्रा, लखनऊ, भोपाल… लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इन स्टेशनों के नाम क्यों ऐसे रखे गए?
कई बार किसी स्टेशन का नाम उसके भौगोलिक स्थान पर आधारित होता है, लेकिन कई बार नाम के पीछे छिपी होती है कोई पुरानी, हैरान कर देने वाली या रोचक कहानी।
इस लेख में हम आपको बताएंगे 7 ऐसे रेलवे स्टेशनों के नाम और उनके पीछे छिपी ऐतिहासिक, स्थानीय और मज़ेदार कहानियाँ, जिनके बारे में जानकर आपकी यात्रा और भी दिलचस्प हो जाएगी।
1. हावड़ा स्टेशन (कोलकाता)
हावड़ा भारत के सबसे व्यस्त और ऐतिहासिक रेलवे स्टेशनों में से एक है। पर इसका नाम “हावड़ा” कैसे पड़ा?
हावड़ा नाम की उत्पत्ति बंगाली शब्द “Haor” से हुई है, जिसका अर्थ होता है — एक ऐसी जगह जहां पानी ठहरता है या दलदली क्षेत्र। पुरानी कोलकाता के ठीक सामने गंगा नदी के उस पार का इलाका दलदली हुआ करता था, जिसे स्थानीय लोग “हावड़” कहते थे।
धीरे-धीरे यही हावड़ा नाम बन गया और स्टेशन को उसी के नाम से जाना जाने लगा।
2. बांद्रा स्टेशन (मुंबई)
बांद्रा नाम सुनते ही लोगों को चर्चगेट और समुद्र तट याद आ जाता है, लेकिन इसका असली अर्थ क्या है?
बांद्रा शब्द की जड़ें पुर्तगाली भाषा में हैं। 16वीं शताब्दी में जब पुर्तगाली भारत आए, उन्होंने यहां एक बंदरगाह बनाया और उसे कहा “Bandra” — जिसका मतलब होता है बंदरगाह या पोर्ट।
अंग्रेजों के समय में भी यह इलाका उसी नाम से जाना गया और आज भी “बांद्रा टर्मिनस” उसी ऐतिहासिक नाम को ढो रहा है।
3. शिवगंगा स्टेशन (तमिलनाडु)
तमिलनाडु का यह स्टेशन रामेश्वरम की ओर जाने वाले रूट पर आता है। शिवगंगा का नाम पौराणिक और धार्मिक महत्व से जुड़ा है।
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम जब लंका पर चढ़ाई करने जा रहे थे, तब उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की थी। वहां एक कुंड भी है जिसे “शिवगंगा तीर्थ” कहा जाता है।
उसी के आसपास के इलाके को शिवगंगा कहा जाने लगा और रेलवे स्टेशन का नाम भी वही रखा गया।
4. मठेला स्टेशन (मध्य प्रदेश)
यह नाम थोड़ा अजीब लगता है, है न? मठेला स्टेशन का नाम सुनते ही लोग चौंकते हैं।
“मठेला” शब्द स्थानीय बोली में उस स्थान को कहते हैं जहां मिट्टी की खुदाई की जाती है या ईंटें पकाई जाती हैं। पहले यह क्षेत्र ईंट-भट्ठों के लिए प्रसिद्ध था, और यहां मठ जैसी संरचनाएं बनी होती थीं।
लोगों ने इसे मठेला कहना शुरू कर दिया — यानी मठों वाला इलाका। बाद में यह रेलवे स्टेशन भी उसी नाम से जाना गया।
5. छिनछिन स्टेशन (राजस्थान)
नाम सुनकर मुस्कान आ गई? यही इसकी खास बात है। राजस्थान के एक छोटे से गांव में स्थित यह स्टेशन आज भी यात्रियों में चर्चा का विषय बन जाता है।
कहा जाता है कि अंग्रेजों के जमाने में इस इलाके में ट्रेन जब भी आती थी, तो लोग “छिन छिन” की आवाज़ से पहचान लेते थे।
एक मज़ाक में इस जगह को “छिनछिन” कहा गया और अंग्रेज अधिकारियों ने उस नाम को ही स्टेशन पर दर्ज कर दिया।
आज यह स्टेशन सोशल मीडिया पर “फनी स्टेशन नाम” की लिस्ट में जरूर आता है।
6. बाराबंकी स्टेशन (उत्तर प्रदेश)
बाराबंकी का नाम कई लोगों को लगता है कि ये दो शब्दों से बना है — “बारा” और “बंकी”। और वाकई में ऐसा ही है।
“बारा” का मतलब होता है बड़ा और “बंकी” का मतलब है टेढ़ा या झुका हुआ।
कहा जाता है कि इस क्षेत्र में एक विशाल झुकी हुई नदी बहती थी, जिसके किनारे बारह गांव बसे थे।
इसलिए इस क्षेत्र को “बाराबंकी” कहा गया — और वही नाम स्टेशन पर भी पड़ा।
7. फतेह सिंहपुर स्टेशन (उत्तर भारत)
यह नाम एक व्यक्ति पर आधारित है। यह स्टेशन उस गांव में स्थित है जहां कभी एक वीर योद्धा फतेह सिंह रहा करते थे, जिन्होंने एक स्थानीय संघर्ष में बहादुरी दिखाई थी।
उनकी याद में गांव का नाम “फतेह सिंहपुर” रखा गया और बाद में जब रेलवे लाइन बिछाई गई, तो स्टेशन का नाम भी वही रखा गया।
यह उदाहरण दर्शाता है कि रेलवे स्टेशन केवल स्थान नहीं, बल्कि इतिहास के गवाह भी होते हैं।
और भी ऐसे नाम जो दिलचस्प हैं
- आज़मगढ़: आज़म खां नामक व्यक्ति द्वारा बसाया गया शहर
- धनबाद: कभी “धन का भंडार” कहा जाता था इस कोयला क्षेत्र को
- नवसारी: गुजराती में “नया शहर”
- बेलगाम (अब बेलगावी): स्थानीय भाषा में “बिलगाम” यानी बिना लगाम का क्षेत्र
निष्कर्ष
भारत में रेलवे स्टेशन केवल सफर के मुकाम नहीं हैं, बल्कि संस्कृति, इतिहास और लोककथाओं का प्रतिबिंब हैं।
हर नाम कुछ कहता है — किसी जगह की परंपरा, किसी वीर का सम्मान, या कभी-कभी बस एक मज़ेदार संयोग।
तो अगली बार जब आप किसी अनोखे नाम वाले स्टेशन से गुजरें, तो उसके नाम के पीछे की कहानी जानने की कोशिश ज़रूर करें — हो सकता है वह आपकी यात्रा को और भी यादगार बना दे।