क्या आपने देखा है प्लेटफॉर्म के नीचे एक गुप्त कमरा होता है? जानिए उसका इस्तेमाल

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जब हम रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करते हैं, तो आम तौर पर हमारी नजर प्लेटफॉर्म, पटरियों और ट्रेन पर होती है। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि जिस प्लेटफॉर्म पर वे खड़े होते हैं, उसके ठीक नीचे एक “छिपा हुआ कमरा” भी हो सकता है।

कई बार प्लेटफॉर्म के किनारे पर लोहे का दरवाज़ा या ग्रिल जैसा कुछ दिखाई देता है, जो नीचे की ओर खुलता है। यात्रियों की पहुंच से दूर यह जगह दिखने में भले ही रहस्यमयी लगे, लेकिन इसका रेलवे के संचालन और सुरक्षा में अहम योगदान होता है।

इस लेख में हम जानेंगे कि प्लेटफॉर्म के नीचे ये गुप्त कमरे क्या होते हैं, इनका क्या काम होता है, कौन उनका इस्तेमाल करता है, और आम जनता को इससे क्या जानकारी होनी चाहिए।

1. प्लेटफॉर्म के नीचे कमरा होता है — क्या ये सच है?

हाँ, यह बिल्कुल सच है। कई प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म के नीचे टेक्निकल या सर्विस रूम बनाए जाते हैं, जिन्हें आम जनता शायद ही देखती या जानती है।

इन कमरों को अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे:

  • सर्विस टनल
  • इंस्पेक्शन चेंबर
  • इलेक्ट्रिकल रूम
  • ड्रेनेज चेंबर
  • रेलवे गार्ड रूम (कुछ विशेष स्टेशनों पर)

ये कमरे विशेष रूप से रेलवे कर्मचारियों के लिए बनाए जाते हैं और आम यात्रियों को इनमें जाने की अनुमति नहीं होती।

2. इन कमरों का असली काम क्या होता है?

इन कमरों का उपयोग रेलवे के विभिन्न तकनीकी और परिचालन कार्यों के लिए किया जाता है। प्रमुख उपयोग हैं:

a) केबल और वायरिंग के लिए:
रेलवे स्टेशन पर सिग्नलिंग, अनाउंसमेंट, टिकटिंग, क्लॉक सिस्टम, सीसीटीवी जैसी सुविधाओं के लिए हजारों मीटर लंबी वायरिंग होती है। ये वायर प्लेटफॉर्म के नीचे से गुज़रती हैं। उन पर काम करने या उनकी जांच के लिए यह कमरा जरूरी होता है।

b) इलेक्ट्रिक पैनल रूम:
कई स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म के नीचे इलेक्ट्रिक कंट्रोल पैनल या बैकअप पावर सिस्टम (इन्वर्टर/UPS) लगाए जाते हैं, जो स्टेशन को बिजली आपूर्ति में मदद करते हैं।

c) वॉटर पाइपलाइन और ड्रेनेज की निगरानी:
रेलवे प्लेटफॉर्म के नीचे से पानी की पाइपलाइन और नाली (ड्रेनेज लाइन) गुजरती हैं। इनकी सफाई और निरीक्षण के लिए कमरे बनाए जाते हैं।

d) गार्ड और कर्मचारियों का विश्राम स्थान:
कुछ पुराने या टर्मिनल स्टेशनों पर यह कमरा गार्ड, गेटमैन या टेक्निकल स्टाफ के लिए विश्राम रूम के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है।

e) प्लेटफॉर्म शेड या लाइटिंग कंट्रोल:
कुछ प्लेटफॉर्म के नीचे से ही शेड की लाइटिंग, इलेक्ट्रिक फैन, CCTV कैमरे आदि को नियंत्रित किया जाता है।

3. क्या ये कमरे हमेशा मौजूद होते हैं?

नहीं, ये कमरे हर स्टेशन पर नहीं होते। इनकी उपस्थिति निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है:

  • स्टेशन का आकार (मेट्रो शहरों के स्टेशन में अधिक संभावना)
  • प्लेटफॉर्म की ऊंचाई और चौड़ाई
  • यात्री ट्रैफिक और तकनीकी ज़रूरतें
  • स्टेशन का डिज़ाइन और निर्माण वर्ष

पुराने स्टेशन जिनका निर्माण औपनिवेशिक काल में हुआ था, उनमें ऐसे सर्विस रूम आम हैं।

4. क्या ये कमरे सुरक्षात्मक होते हैं?

जी हां। इन कमरों में प्रवेश के लिए लोहे के दरवाजे, पैड लॉक, और केवल स्टाफ के लिए अनुमत क्षेत्र जैसी व्यवस्था होती है।

इसके अलावा इनमें:

  • फायर अलार्म
  • वेंटिलेशन सिस्टम
  • सीलिंग लाइट्स
  • वाटर प्रूफ दीवारें
    होती हैं ताकि अंदर का तापमान और सुरक्षा बनी रहे।

कुछ जगहों पर CCTV कैमरे भी लगे होते हैं ताकि कोई अनधिकृत व्यक्ति प्रवेश न कर सके।

5. क्या इन कमरों में कोई रहता है?

नहीं। ये कमरे आवासीय उपयोग के लिए नहीं होते। लेकिन इनमें कुछ घंटे के लिए रेलवे कर्मचारी बैठकर निरीक्षण या मेंटेनेंस कर सकते हैं।

कभी-कभी किसी आपात स्थिति में (जैसे ट्रेन डिले, प्लेटफॉर्म पर ओवरलोडिंग), कर्मचारी यहां अस्थायी विश्राम या बैकअप ऑपरेशन के लिए बैठते हैं।

6. क्या कभी इन कमरों का उपयोग आपातकालीन स्थिति में होता है?

हाँ। यदि स्टेशन पर:

  • कोई तकनीकी खराबी आ जाए
  • वायरिंग सिस्टम फेल हो जाए
  • पानी भर जाए (फ्लडिंग)
  • या कोई संदिग्ध गतिविधि हो

तो रेलवे कर्मचारी प्लेटफॉर्म के नीचे से तुरंत एक्शन ले सकते हैं। यह कमरा कई बार बैकअप कंट्रोल रूम की तरह काम करता है।

7. क्या आम यात्री को इससे कोई चिंता होनी चाहिए?

नहीं। ये कमरे पूरी तरह सुरक्षित होते हैं और इनकी देखभाल नियमित रूप से की जाती है।
इनका स्थान प्लेटफॉर्म के कोने या किनारे पर होता है, जहां आम यात्री आसानी से पहुंच नहीं पाता।

सुरक्षा के लिहाज़ से भी इन कमरों को क्लोज सिस्टम में रखा जाता है — यानी बाहर से कोई गैस, पानी, या आग अंदर नहीं जा सकती।

8. क्या इन कमरों का उपयोग भविष्य में और तकनीकी रूप से किया जा सकता है?

बिलकुल! भविष्य में रेलवे इन्हें:

  • स्मार्ट सर्विलांस कंट्रोल रूम
  • AI आधारित अनाउंसमेंट सिस्टम
  • पर्यावरण नियंत्रण स्टेशन
  • वाई-फाई हब
    जैसे कार्यों के लिए अपग्रेड कर सकता है।

निष्कर्ष

रेलवे प्लेटफॉर्म के नीचे बने ये “गुप्त कमरे” भले ही यात्रियों की नजर में न आएं, लेकिन इनका काम बेहद अहम होता है। ये कमरे न सिर्फ तकनीकी संचालन का हिस्सा हैं, बल्कि कई बार आपातकालीन और बैकअप सिस्टम की रीढ़ भी होते हैं।

अब जब आप अगली बार किसी रेलवे स्टेशन पर जाएं और प्लेटफॉर्म किनारे कोई दरवाज़ा देखें — तो जानिए, उसके नीचे छिपा है एक सुरक्षा, तकनीक और संचालन का अहम केंद्र।

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