ट्रेन के हॉर्न के पीछे छिपे होते हैं खास कोड – जानिए क्या कहते हैं ये सिग्नल

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जब भी ट्रेन स्टेशन पर आती है या पटरियों पर दौड़ती है, तो उसका हॉर्न एक ज़रूरी हिस्सा होता है। अधिकतर लोगों को लगता है कि हॉर्न सिर्फ ध्यान आकर्षित करने के लिए बजाया जाता है — लेकिन हकीकत यह है कि ट्रेन का हॉर्न एक कोडेड भाषा है, जिसमें हर आवाज़ का एक खास मतलब होता है।

रेलवे में हॉर्न का उपयोग यात्रियों, कर्मचारियों और ट्रैक पर मौजूद लोगों को संदेश देने के लिए किया जाता है। यह भाषा रेलवे सिग्नलिंग प्रणाली का हिस्सा है और इसका इस्तेमाल यात्रियों को सचेत करने, स्टेशन स्टाफ को जानकारी देने, ट्रैक पर काम कर रहे कर्मचारियों को अलर्ट करने या किसी खतरे की सूचना देने के लिए किया जाता है।

ट्रेन हॉर्न के पीछे का विज्ञान

भारतीय रेलवे में ट्रेन ड्राइवर (लोको पायलट) को खास परिस्थिति में हॉर्न बजाने के निर्देश और कोड दिए जाते हैं। हर हॉर्न की लंबाई, दोहराव और टोन का एक निश्चित अर्थ होता है।

यह संवाद का माध्यम है, जो रेलवे के भीतर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

ट्रेन हॉर्न के 10 प्रमुख सिग्नल और उनके अर्थ

  1. एक छोटा हॉर्न
    अर्थ: ट्रेन लोको पायलट गार्ड को संकेत दे रहा है कि ट्रेन चलने के लिए तैयार है।
  2. दो छोटे हॉर्न
    अर्थ: ट्रेन बैक करने जा रही है या इंजन को पीछे लिया जा रहा है।
  3. एक लंबा हॉर्न
    अर्थ: ट्रेन किसी खुले ट्रैक पर है और बिना रुकावट आगे बढ़ रही है।
  4. दो लंबे हॉर्न
    अर्थ: ट्रेन आगे बढ़ने वाली है और यात्रियों को सावधान रहने की आवश्यकता है।
  5. तीन छोटे हॉर्न
    अर्थ: ट्रेन में कोई आपात स्थिति है, जैसे ब्रेक फेल या अन्य खतरा।
  6. एक छोटा और एक लंबा हॉर्न
    अर्थ: सिग्नल साफ नहीं है, लोको पायलट पुष्टि के लिए गार्ड से संकेत चाहता है।
  7. एक लंबा और दो छोटे हॉर्न
    अर्थ: ट्रेन किसी मानव-रहित लेवल क्रॉसिंग को पार कर रही है और आसपास के लोगों को सचेत कर रही है।
  8. लगातार लंबा हॉर्न
    अर्थ: ट्रैक पर कोई बड़ा खतरा हो सकता है, जैसे जानवर या व्यक्ति की उपस्थिति।
  9. चार छोटे हॉर्न
    अर्थ: लोको पायलट गार्ड को कह रहा है कि ब्रेक की जांच करें।
  10. दो छोटे और एक लंबा हॉर्न
    अर्थ: ट्रेन अपने डिपो या यार्ड में लौट रही है, आमतौर पर गैर-यात्री संचालन के दौरान।

क्या यह सिग्नल हर ट्रेन में एक जैसा होता है?

भारतीय रेलवे ने सिग्नलिंग सिस्टम का मानकीकरण किया है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में जोन या ज़िला स्तर पर थोड़ा बदलाव हो सकता है। फिर भी, ऊपर बताए गए हॉर्न संकेत अधिकांश ट्रेनों में सामान्य रूप से लागू होते हैं।

हॉर्न के नियमों की निगरानी कौन करता है?

लोको पायलट और गार्ड को हॉर्न बजाने के निर्देश रेलवे नियम पुस्तिका में दिए जाते हैं। रेलवे अधिकारी, स्टेशन मास्टर और ट्रैक पर मौजूद कर्मचारी इस प्रणाली से पूरी तरह वाकिफ होते हैं। हॉर्न का दुरुपयोग करना या बिना आवश्यकता के लगातार बजाना रेलवे नियमों के अंतर्गत दंडनीय है।

यात्रियों के लिए क्या ज़रूरी है जानना?

अगर आप रात के समय हॉर्न सुनें, तो जानें कि शायद ट्रेन किसी मानव-रहित क्रॉसिंग को पार कर रही है। अगर लगातार हॉर्न बज रहा है, तो संभव है ट्रेन को कोई खतरा महसूस हो रहा हो। स्टेशन पर खड़े रहते समय हॉर्न से जुड़े संकेत को पहचानना आपकी सुरक्षा के लिहाज से उपयोगी हो सकता है।

तकनीकी बदलाव: इलेक्ट्रॉनिक हॉर्न का आगमन

नई पीढ़ी की ट्रेनों जैसे वंदे भारत, तेजस और अन्य सेमी हाई-स्पीड ट्रेनों में अब पारंपरिक हॉर्न की जगह इलेक्ट्रॉनिक एयर हॉर्न या डिजिटल टोन हॉर्न लगाए जा रहे हैं।

इनका मुख्य लाभ यह है कि ध्वनि प्रदूषण कम होता है, संकेत स्पष्ट होते हैं, और वे ऑटोमैटिक कंट्रोल सिस्टम से जुड़े होते हैं।

कुछ दिलचस्प तथ्य

भारतीय रेलवे के हर जोन में ट्रेन हॉर्न के उपयोग को लेकर स्टाफ की विशेष ट्रेनिंग होती है। कई लोको पायलट हॉर्न को एक खास अंदाज़ में बजाते हैं जिससे स्टेशन स्टाफ पहचान जाते हैं कि कौन सा ड्राइवर आ रहा है।
2022 में रेलवे ने कुछ इलाकों को साइलेंट ज़ोन घोषित किया है, जहां हॉर्न बजाने की अनुमति नहीं है, जैसे अस्पताल और स्कूलों के पास।

निष्कर्ष

ट्रेन का हॉर्न सिर्फ एक आवाज नहीं — यह एक संवाद का साधन है। हर हॉर्न के पीछे एक अर्थ, एक ज़िम्मेदारी और एक संकेत छिपा होता है जो रेलवे की सुरक्षा और संचालन में अहम भूमिका निभाता है।

तो अगली बार जब ट्रेन का हॉर्न सुनें, तो समझने की कोशिश करें — ट्रेन कुछ कह रही है।

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