आपने अक्सर ट्रेन की बोगियों के पीछे या किनारे की दीवार पर सफेद या पीले रंग से एक बड़ा ‘X’ या कभी-कभी ‘O’ बना देखा होगा। यह आमतौर पर बोगी के आखिरी हिस्से पर लिखा होता है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसका क्या मतलब होता है? क्या यह कोई सीक्रेट कोड है? या फिर रेलवे के किसी तकनीकी नियम का हिस्सा?
आज हम आपको बताएंगे कि इन ‘X’ और ‘O’ चिन्हों का क्या अर्थ है, इनका उपयोग क्यों होता है और यह कैसे रेलवे की सुरक्षा और संचालन में अहम भूमिका निभाते हैं।
‘X’ और ‘O’ – ये चिन्ह क्या दर्शाते हैं?
1. ‘X’ – ट्रेन की आखिरी बोगी का संकेत
रेलवे की भाषा में ‘X’ का मतलब होता है:
“यह ट्रेन की आखिरी बोगी है”
मतलब, जिस कोच के पीछे ‘X’ बना होता है, वह उस ट्रेन की अंतिम बोगी है और इसके बाद कोई कोच नहीं है।
2. ‘O’ – विशेष प्रकार की कोच या स्थिति का संकेत
‘O’ अक्सर उस समय लिखा जाता है जब ट्रेन में कोई कोच जुड़ा तो होता है, लेकिन वह यात्रियों के लिए नहीं होता — जैसे कि
- Parcel van (सामान कोच)
- Guard coach
- या फिर किसी ट्रेनिंग या सर्विस कोच के लिए
कुछ रेलवे जोन में ‘O’ का उपयोग स्पेयर कोच या ऐसे कोच के लिए किया जाता है जो यात्रियों के बैठने के लिए नहीं, बल्कि सर्विस प्रयोजन के लिए होते हैं।
‘X’ निशान का इतिहास और उद्देश्य
रेलवे की सुरक्षा प्रक्रिया में ‘X’ का बड़ा रोल है। इसकी शुरुआत तब हुई जब भारतीय रेलवे के इंजन ड्राइवरों और स्टेशन मास्टरों को दूर से ही यह समझना होता था कि ट्रेन पूरी है या नहीं।
‘X’ का मुख्य उद्देश्य:
- ट्रेन का अंत बताना:
इंजन ड्राइवर और स्टेशन स्टाफ यह सुनिश्चित करते हैं कि पूरी ट्रेन प्लेटफॉर्म से गुजर गई है। - बोगी के कट जाने की स्थिति में पहचान:
कभी-कभी तकनीकी खराबी या यांत्रिक समस्या से बोगी ट्रेन से अलग हो सकती है। ऐसे में अगर किसी कोच के पीछे ‘X’ नहीं दिखता, तो अलार्म बजाया जाता है और ट्रेन रोकी जाती है। - रात में स्पष्टता के लिए:
कई बार यह ‘X’ रेड रिफ्लेक्टिव पेंट से लिखा जाता है ताकि यह रात में भी चमक कर दिखे।
कैसे पता चलता है कि ‘X’ वाली बोगी आखिरी है?
रेलवे नियमों के अनुसार, जब ट्रेन स्टेशन से गुजरती है, तो स्टेशन मास्टर या गार्ड को यह सुनिश्चित करना होता है कि:
- ट्रेन में लगी सारी बोगियां सुरक्षित हैं
- किसी बोगी के कटने या छूटने की घटना न हो
- ट्रेन पूरी गुजर चुकी है
अगर ट्रेन की आखिरी बोगी पर ‘X’ नहीं दिखता, तो समझा जाता है कि कुछ गड़बड़ है। ऐसी स्थिति में ट्रेन को अगले सिग्नल से पहले रोका जाता है।
‘O’ चिन्ह का प्रयोग कब किया जाता है?
‘O’ का उपयोग कम ही होता है, लेकिन इसके कुछ संभावित प्रयोग निम्नलिखित हैं:
- Parcel Van या Luggage Coach में:
इनमें यात्री नहीं बैठते, इसलिए ये आम बोगियों से अलग दिखाने के लिए ‘O’ से चिन्हित होते हैं। - संपर्क रहित कोच (Non-passenger Coaches):
ट्रेनिंग या रेलवे स्टाफ के लिए बने कोच, जो ट्रेनों के साथ ट्रांसपोर्ट होते हैं, उन्हें भी ‘O’ चिन्ह से चिह्नित किया जाता है। - कुछ रेलवे जोनों के कोडिंग सिस्टम में:
कुछ स्थानों पर ‘O’ का मतलब “Operational Use Only” को भी दर्शाता है।
क्या ये चिन्ह पूरे भारत में एक जैसे होते हैं?
हां, अधिकांश रेलवे ज़ोन में ‘X’ का अर्थ एक जैसा ही होता है – यानी आखिरी बोगी। हालांकि, ‘O’ का प्रयोग क्षेत्र विशेष पर निर्भर करता है और इसके उपयोग में थोड़ा अंतर हो सकता है।
रेलवे ने पूरे देश के लिए सुरक्षा मानकों को एक समान करने की कोशिश की है ताकि किसी भी जोन में काम करने वाला कर्मचारी इन चिन्हों को आसानी से समझ सके।
क्या कोई और चिन्ह भी उपयोग में लाए जाते हैं?
जी हां, भारतीय रेलवे में कई और चिन्ह होते हैं जो बोगियों पर दिखाई देते हैं:
- LV (Last Vehicle): गार्ड वैन पर लिखा होता है
- RED Light: रात में आखिरी बोगी पर एक लाल बत्ती जलती है
- SP: Special Coach
- NR, WR, CR: संबंधित रेलवे जोन का संकेत
नियमों की पालना और सुरक्षा
रेलवे सुरक्षा नियमों के अनुसार, यदि किसी ट्रेन की आखिरी बोगी पर ‘X’ या रेड लाइट नहीं है, तो उसे एक सिग्नल विफलता या ऑपरेशनल फॉल्ट माना जाता है और उसकी रिपोर्ट की जाती है।
इसलिए सभी गार्ड और स्टेशन मास्टर्स को ट्रेन गुजरने के बाद आखिरी कोच पर ‘X’ देखने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है।
निष्कर्ष
ट्रेन की बोगियों पर बने ‘X’ और ‘O’ जैसे चिन्ह सिर्फ पेंट नहीं हैं — ये भारतीय रेलवे के सुरक्षा नेटवर्क का अहम हिस्सा हैं। इनकी मदद से ना सिर्फ ट्रेनों की पूर्णता की पुष्टि होती है, बल्कि दुर्घटनाओं और तकनीकी गड़बड़ियों को भी रोका जा सकता है।
अब जब आप अगली बार ट्रेन यात्रा करें, तो ज़रूर देखें कि आखिरी बोगी पर ‘X’ है या नहीं — और तब आपको इस छोटे से निशान की बड़ी जिम्मेदारी का एहसास होगा।